दिवाली से जुड़ी इन अहम बातों को जानते हैं
भारत में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में दिवाली की सामाजिक और धार्मिक, दोनों ही दृष्टिकोणों से बहुत अहमियत है। दिवाली उजाले का त्योहार है। आइए जानते हैं, 5 दिन तक मनाए जाने वाले त्योहार दिवाली से जुड़ी हर वह बात, जो आमतौर पर बहुत ही कम लोगों को पता होती है या जिसकी अहमियत को समय के साथ भुलाया जा चुका है।

दिवाली भारत के सबसे बड़े और भव्यतापूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। दिवाली 5 दिन तक मनाए जाने वाला त्योहार है। इस शानदार त्योहार की खासियत ये है कि मूल रूप से हिंदू त्योहार होने के बावजूद इस देश भर में लगभग सभी धर्म के लोगों द्वारा हर्षोल्लास से मनाया जाता है और सभी का साझापन इसे एक सामुदायिक रूप दे देता है। दिवाली की सामाजिक और धार्मिक, दोनों ही दृष्टिकोणों से बहुत खास अहमियत है। इसे दीयों का त्योहार भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ मतलब अंधेरे से प्रकाश की ओर जाइए- यह उपनिषदों का कहना है। इसे सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं और सिख समुदाय इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है।
पहला दिन- धनतेरस
इस त्योहार के पहले दिन घरों और व्यावसायिक संस्थानों को सजा-संवार दिया जाता है।धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाई जाती है, जिसमें हल्दी-चूने से स्वस्तिक बनाना बहुत शुभ माना जाता है। द्वार से लेकर घर के अंदर तक प्रतीक रूप में चावल के आटे और कुमकुम से छोटे पैरों के निशान बनाए जाते हैं। इस दिन को धन्वन्तरि जयंती (आयुर्वेद के भगवान या देवताओं के चिकित्सक) के रूप में भी मनाया जाता है। साथ ही इस दिन पर मृत्यु के देवता यम का पूजन करने के लिए सारी रात दीपक जलाएं जाते हैं, इसलिए यह ‘यमदीपदान’ के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है कि यह असमय मृत्यु के डर को दूर करता है। इस दिन को शुभ मानते हुए बहुत से लोग सोने-चांदी के गहने, नए बर्तन या कोई घरेलू सामान भी खासतौर से खरीदते हैं।

दूसरा दिन- नरक चतुर्दशी
दूसरे दिन नर्क चतुर्दशी होती है| इस दिन सुबह जल्दी जागने और सूर्योदय से पहले स्नान करने की एक परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि ये अवसर भगवान कृष्ण द्वारा अत्याचारी दानव राजा नरकासुर के वध से जुड़ा है, जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। इस दिन दीपदान का विशेष महत्व है, जो सदाचार की भावना को बढ़ावा देता है। नरक चतुर्दशी को ही छोटी दीवाली मनाई जाती है।

तीसरा दिन – लक्ष्मी पूजन अथवा दीपावली
तीसरा दिन, यानी इस उत्सव का मुख्य दिन दीपावली को माना जाता है। कार्तिक मास की घनघोर अमास्या की रात्रि को जलते सैकड़ों दीयों का प्रकाश इस दिन की कालिमा को समाप्त सा कर देता है। इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। लोग लक्ष्मी पूजा करते हैं। इस पूजा में मां सरस्वती और भगवान गणेश भी समान आदर के साथ पूजे जाते हैं। व्यापार में नई शुरुआत के लिए इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। यमराज को प्रसन्न करने के लिए आज के दिन कुछ लोग व्रत रखते हैं और दीपदान करते हैं. दीपदान धनतेरस से अमावस्या तक करना माना गया है। आज के दिन श्रीहरि की पूजा की जाती है।

चौथा दिन – गोवर्धन पूजा
समारोह का चौथा दिन वर्ष प्रतिपदा के रूप में जाना जाता है। यह भी माना जाता है कि इसी दिन वह दिन भी है जब भगवान कृष्ण ने देवराज इंद्र की क्रोधित होकर की गई मूसलाधार बारिश से गोकुल के लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। यह दिन मानवों के प्रकृति के प्रति आभार ज्ञापित करने का दिन भी है।

पांचवा दिन – भाई दूज
यह दिन विशेष रूप से भाई और बहन के बीच प्रेम का प्रतीक है। बहनें अपने भाई को तिलक कर उनके सुख-सौभाग्य की कामना करती हैं।
